युधिष्ठिर जांगिड

जन्म - गाँव चौकी नं. 2 (चौकी बेरली) में हुआ।
शिक्षा -
आपने मैट्रिक की शिक्षा 1960 में बी.एस.सी. की शिक्षा 1964 में रेवाड़ी में पूर्ण की। खेलकूद के साथ साथ अपने स्काऊट, एन.सी.सी. (सी-सर्टिर्फिकेट) सीनियर अण्डर ऑफिसर पद पर रहे व अनेक खेलों में टीम के खिलाड़ी रहे।
सामाजिक क्षेत्र -
* अपने पिता स्व. श्री प्रहलाद दत्त जांगिड, माता विद्यावती जांगिड एवं अन्य सामाजिक विभूतियाँ (मातादीन जी शर्मा, जय नारायण जी शर्मा) की प्रेरणा से अपना जीवन समाज को समर्पित कर दिया। शिक्षा प्राप्त करने के साथ आपने विश्वकर्मा स्कूल में पढ़ाया भी। * नवयुवक दल की स्थापना की।
* दल के प्रधान पद पर रहते हुए विश्वकर्मा स्कूल में लाईब्रेरी की स्थापना करवाई। रेवाड़ी में सभी स्कूलों से पहले विश्वकर्मा स्कूल में टेलीविजन और दो शादियों के लिए बर्तन अपने प्रयास व समाज के सहयोग से उपलब्ध करवाए।
* नौ साल तक लगातार मैनेजर के पद पर रहते हुए विश्वकर्मा स्कूल को अन्य बड़े स्कूलों के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। स्कूल में समाज के सहयोग से आर्थिक सहायता जुटाकर स्टॉफ को 5 महीनों का वेतन दिलवाया 90 हजार की लागत से स्कूल का बरामदा बनवाया और स्कूल में अनुशासन स्थापित किया। श्री युधिष्ठिर कुमार जांगिड अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के उपाध्यक्ष पद पर आसीन रहे।
* विश्वकर्मा चौक का पूरे सहयोग से निर्माण करवाया।
* विश्वकर्मा मंदिर के प्रधान रहते हुए मंदिर का तन-मन-धन से और समाज के सहयोग से पुनर्निर्माण करवाया।
* 2004-2006 तक निर्वाचित प्रधान पद पर रहते हुए स्कूल की जर्जर हालत को ठीक करवाया। अध्यापकों व विद्यार्थियों को अनुशासित करके स्कूल को एक नया रूप प्रदान किया। इसके साथ विश्वकर्मा सीनियर सैकण्डरी स्कूल रोहतक के कार्यकारिणी सदस्य भी रहे।
* किशन लाल पब्लिक ऐजुकेशन ट्रस्ट की गवर्निंग बॉडी के शुरू से सदस्य रहे। जिसके नीचे तीन कॉलेज व एक स्कूल चल रहा है।
* आप अ.भा.ब्रा, महासभा शाखा सभा रेवाड़ी के प्रधान पद पर रह चुके हैं। जां.ब्रा. प्रादेशिक सभा में भी वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर तीन साल तक रहे। अ.भा.जा.ब्रा. महासभा दिल्ली के कार्यकारिणी सदस्य भी रहे।
* जांगिड ब्राह्मण सभा के संरक्षक सदस्य भी रहे।
* सन् 2006 में 21 हजार रूपये देकर अ.भा.जां.ब्रा. सभा के विशेष सम्पोषक सदस्य बने।
* अ. भा. जां. ब्रा. महासभा का हरियाणा में सबसे पहले शताब्दी समारोह की अध्यक्षता की और परिवार की ओर से जां. ब्रा. सभा जिला रेवाड़ी को 51 हजार रूपये की राशि दी।
पारिवारिक परिचय :-
आपके पिता श्री प्रहलाद दत्त जांगिड एक सफल व्यापारी व समाज सेवी थे। उत्तरखीरी डिवीजन में जिसमें जंगलात के 500 ठेकेदार काम करते थे। उसकी उत्तरखीरी फोरेस्ट ऐसोसिएशन के प्रधान पद पर रहते हुए ठेकेदारों व व्यापारियों की सुविधा के लिए जंगल में दुधवा स्टेशन के पास एक विशाल धर्मशाला का निर्माण करवाया। दुधवा नेशनल पार्क घोषित होने के पश्चात धर्मशाला को सरकार को सौंप दिया गया। 1904 से आपने व्यापारिक क्षेत्र में मेहनत व लगन से कार्य करते हुए अपने बुजुर्गों की स्थापित की गई फर्मों – मै. उम्दा राम प्रहलाद दत्त, वी.एस. ट्रेडर्स व आशिर सेल्स को सफलता के शिखर तक पहुँचाने के सारा साथ जांगिड कॉम्पलेक्स की स्थापना की।
किशनलाल पब्लिक कॉलेज की नींव रखने वाले सदस्यों में विशेष स्थान रखते थे। यह शिक्षण संस्था अपने आप में युनिवर्सिटी जैसा रूप धारण कर चुकी है। हरियाणा में यह संस्था विशेष महत्व रखती है। यह कॉलेज जांगिड बन्धु किशन लाल ऐजुकेशन ट्रस्ट में 1963 में डेढ़ लाख रूपये दान देकर स्थापित किया। यह संस्था जांगिड बन्धु किशन लाल जांगिड़ के नाम पर रखी गई । आपके पिता ने समाज में मील का पत्थर साबित होने वाले विश्वकर्मा स्कूल के निर्माण में तन, मन और धन से सहायता की। माता विद्यावती (गंगायचा से छाजूराम जी की पुत्री) भी एक सामाजिक महिला थी। रेवाड़ी में महिलाओं के कल्याण के लिए अखिल भारतीय महिला परिषद की नींव रखी और उसकी आजीवन सदस्य रही। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आपका विवाह 1964 में हुआ। आपकी पत्नी श्रीमती कमलेश जांगिड (भूर सिंह जी की पुत्री) ने भी आपके कदम से कदम मिलाकर चलते हुए समाज में एक विशेष स्थान बनाया। मिडिल तक शिक्षित होने के बावजूद भी मंत्रियों व ऑफिसरों से मिलकर लोगों के कल्याण के लिए व महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य करती रहती हैं। इनके बड़े पुत्र विनय कुमार जांगिड तथा छोटे बेटे संजय कुमार जांगिड ने भी सफलता से अपने व्यापार को आगे बढ़ाया। परन्तु दुर्भाग्य वश आपके बेटे (संजय कुमार जांगिड) 35 वर्ष की अल्पायु में ही भगवान के चरणों में लीन हो गए। श्री युधिष्ठिर जी की दो पुत्रवधुएँ उर्वशी शर्मा और ज्योति शर्मा हैं।