वेदप्रकाश पांचाल

जीवन परिचय व शिक्षा -
श्री धनीराम पांचाल श्रीमती प्रसन्दी देवी पांचाल गाँव धनौरा सिल्वर नगर जिला मेरठ, हाल बागपत उत्तर प्रदेश को दिनांक 19.10.1944 को पुत्र रत्न प्राप्त हुआ जो कि आगे चलकर श्री वेद प्रकाश पांचाल के नाम से जाने गये। श्री पांचाल की प्राथमिक शिक्षा गाँव धनौरा में ही हुई। इनके पिताश्री ने अपने पुश्तैनी व्यवसाय को ही अपनाया तथा इनकी आर्थिक स्थिति सामान्य थी। अपनी उच्च शिक्षा कस्बा बडौत में एम.ए. डिग्री प्राप्त करने के बाद आप को सरकारी नौकरी शीघ्र मिल गई। आपने अपनी पहचान एक आदर्श अध्यापक के रूप में बनायी, परन्तु शिक्षा क्षेत्र में कुछ करने की तमन्ना हुई, अतः सरकारी अध्यापक की नौकरी छोड़कर आप दिल्ली में आ गये। आपकी कांग्रेस के जाने माने नेता श्री शीशराम जी पांचाल, रामनगर, शाहदरा से मुलाकात हुई। आपके विचार जानकर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई तथा उन्होंने अपना आत्मीय सहयोग करने का मानस बनाया। उसी दौरान विचारों के आदान-प्रदान से श्री पांचाल की शादी श्रीमती कृष्णा सुपुत्री श्री शीशराम पांचाल दिल्ली के साथ हुई। श्रीमती कृष्णा पांचाल भी सुशिक्षित अध्यापिका एवं शिक्षा संचालिका हैं। इनके दो पुत्र श्री रोहित व श्री गौरख और दोनों ही उच्च शिक्षा प्राप्त हैं।
व्यवसाय -
श्री पांचाल ने शिक्षा के क्षेत्र में नया कदम रखते हुए नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल की नींव रखी और शिक्षा जगत में विख्यात नाम प्राप्त किया है। आपके नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल की गणना पंचतारा स्कूलों में होती है। गगनचुम्बी भव्य इमारत, कैपशूल लिफ्टें, सुन्दर एवं स्वच्छ स्वीमिंग पूल, हरा-भरा खेल का मैदान, दुर्लभ एवं अद्भुत पुस्तकों से सुसज्जित पुस्तकालय, मिनी जू चिकित्सा एवं कम्प्यूटर कक्ष आधुनिकतम प्रयोगशालाएँ स्वागत कक्षा वर्ल्ड क्लास शिक्षा आदि आपके स्कूलों की विशेषताएँ हैं। राजनीति क्षेत्र - आप भारतीय कांग्रेस आई के साथ जुड़े हुए है। आप पार्टी और पार्टी के कार्यक्रमों को गति देने में अपना आत्मीय सहयोग से पार्टी में अपनी पहचान स्थापित कर रखी है। एक आदर्श शिक्षक, स्वच्छ राजनेता, उदारवादी अध्यात्मिक महापुरूष उच्च कोटि के विचारक, चिन्तक पिछड़े वर्ग के सहायक व संरक्षक आपके नेतृत्व में कई सामाजिक, राजनैतिक सम्मेलनों का आयोजन हुआ।
समाज सेवा -
आप कई सामाजिक संस्थाओं में अध्यक्षा के रूप में कार्यरत है। विश्वकर्मा महासमा विश्वकर्मा महासंघ, विश्वकर्मा विराट संघ व अखिल भारतीय विश्वकर्मा पांचाल महासमा के सर्वोच्च पदासीन है, साथ ही इन संस्थाओं के कल्याणकारी व रचनात्मक कार्य किये जिससे वे मील के पत्थर बन गये है। सभी सामाजिक कार्यों में उदारता से दान देना गरीबों पर दया करना आपका स्वभाव है। धार्मिक कार्यों में आपने बढ़-चढ़कर भाग लिया है। आपने ओंकारेश्वर मन्दिर एवं पांचाल धर्मशाला में भी एक लाख रूपये से अधिक दान देकर कीर्तिमान स्थापित किया है। आपकी सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में उपलब्धियों और सेवाओं की महान हस्तियों ने मुक्त कंठ से सराहना की। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, चन्द्रशेखर पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह एवं राजेश पायलट तथा दिल्ली के शिक्षा जगत विख्यात डा. उपेन्द्र बक्शी, डॉ. पी.सी. पतंजली शामिल है। आपको संतों का आशीर्वाद प्राप्त है अर्थात् परम् पूज्य स्वामी कल्याण देव जी पद्मभूषण और जगत गुरू शंकराचार्यजी की आप पर कृपा रही है। साहित्य क्षेत्र में आपके मार्गदर्शन में कई ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ जिनकों पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। आपने उपर्युक्त कार्यों में विशेष दान देकर विलक्षण दानवीर के रूप में पहचान बनायी है। समाज इस पर नाज और गौरवान्वित महसूस करता है। इन उपलब्धियों और सेवाओं के लिए आपको पांचाल रत्न, विश्वकर्मा रत्न, कला रत्न, साहित्य भूषण, भामाशाह पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। आपको दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों द्वारा सम्मानित किया गया है। आपकी प्रगति और उन्नति में आपकी पत्नी श्रीमती कृष्णा पांचाल की पूरी भागीदारी है। इन उपलब्धियों पर श्रीमती कृष्णा पांचाल को नारी महाशक्ति रत्न से सम्मानित किया।