ताऊ शेखावटी
समाज में ही नहीं अपितु साहित्य जगत में अपनी प्रतिभा एवं हास्य छटा बिखेरने वाले ताऊ शेखावटी को कौन नहीं जानता? आपका मूल नाम सीताराम है, किन्तु काव्य साधना में ताऊ शेखावटी के नाम से ही प्रसिद्ध हैं।
आप मूल रूप से रामगढ़ शेखावटी, जिला सीकर के हैं। आपने मैकेनिकल इन्जीनियरिंग में अपनी शिक्षा पूर्ण की, उसके बाद काव्य लेखन में सतत् क्रियाशील हैं।
आज आप राजस्थान के हास्य कवियों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं। खड़ी बोली एवं राजस्थानी दोनों में एक साथ काव्य रचनाकार साहित्य जगत को अनेकों अमूल्य कृतियां प्रदान की है, जिसमें साला-हेली, सुणले ताई बावली, कह ताऊ कविराज (हास्य व्यंग्य), हाय तुम्हारी यही कहानी (उपन्यास), मीरा-राणाजी संवाद, सौरठा री सौरम, हमारे महाकवि की रचना है।
आपकी मीरा राणाजी संवाद, इसी शीर्षक से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान द्वारा प्रकाशित कक्षा ग्यारवीं के लिए भारती भाग-3 पुस्तक में कालजयी कवियों के साथ अमरकृति कविता के रूप में सम्मिलित की गयी है, जो कि हमारे समाज के उदीयमान कवियों में से आपको विशिष्ट स्थान दिया गया है।
राजस्थान अकादमी, दिल्ली द्वारा 31 हजार रूपये का लाखोटिया पुरस्कार-2004 एवं दीनदयाल उपाध्याय मंच द्वारा चमड़िया पुरस्कार प्राप्त किया।
मीरा राणाजी संवाद कृति मीरा बाई के जीवन चरित्र पर लिखी गयी एकमात्र काव्य संवाद कृति है, जिसे राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर मंचीयकरण योजना के अन्तर्गत इष्टा के रंग कर्मियों ने कई बार मंचित किया है।
इस प्रयास एवं अमरकृति एवं अमरकृति रचना के 'भारती भाग-3' में प्रकाशन के लिए आपको समस्त समाज से बधाई एवं शुभकामनायें है कि आप उत्तरोतर काव्य जगत में अपने समाज का नाम रोशन करते हुए अन्य साहित्यकारों के साथ अपना विशिष्ट स्थान बनाये रखें।